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प्रेम हो तो ऐसा पत्नी की याद में बना दिया राधा-कृष्ण मंदिर,जानिए कौन है यह शख्स

एक भगवान राम थे, जिन्होंने अपनी सीता को वापस पाने के लिए समुद्र को बांध दिया. एक शाहजहां था, जिसने अपनी बेगम की याद में ताजमहल बना दिया. और एक दशरथ मांझी थे, जिन्होंने पत्नी का पैर फिसलने पर पहाड़ का सीना चीरकर सड़क बना दी. ये सब हमारे देश में प्रेम के उदाहरण हैं. राधा-कृष्ण आध्यात्मिक प्रेम की निशानी हैं. उनके जैसा प्रेम और त्याग हर प्रेमी की चाहत होती है. ऐसा प्यार और ऐसा समर्पण हर किसी के बस की बात नहीं है. लेकिन ऐसा भी नहीं है कि किसी के बस की बात नहीं है. मध्य प्रदेश के छत्तरपुर में एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी की याद में राधा-कृष्ण का मंदिर बनवाया है. उन्होंने पत्नी की याद में भव्य राधा-कृष्ण मंदिर बनवाने के लिए अपने जीवनभर की कमाई लगा दी है. यह शख्स बुंदेलखंड के रहने वाले हैं और एक रिटायर्ड टीचर हैं. अपने जीवनभर की कमाई से उन्होंने अपनी स्वर्गीय पत्नी की याद में छत्तरपुर में यह मंदिर बनवाया है. जिस दिन उनकी पत्नी की मौत हुई, उसी दिन बीपी चन्सौरिया ने छत्तरपुर में मंदिर बनवाने की कसम खाई थी. ऐसा उन्होंने अपनी पत्नी की इच्छा पूरी करने के लिए किया. उनकी पत्नी की ख्वाहिश थी कि वह राधा-कृष्ण का मंदिर बनाएं. बीपी चन्सौरिया का मकसद सिर्फ मंदिर बनाना ही नहीं था. बल्कि वह खूबसूरत मंदिर बनवाना चाहते थे. इसके लिए ढेर सारा मार्बल चाहिए था और उस पर नक्कासी करके उसे और भी सुंदर बनाना था. खूबसूरती की उनकी इस मांग को पूरा किया राजस्थान के मुस्लिम कलाकारों ने. इसके लिए इन मुस्लिम कारीगरों ने पिछले तीन वर्षों में खूब पसीना बहाया है. चन्सौरिया ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि उन्होंने मंदिर बनवाया, क्योंकि उनकी पत्नी चाहती थी कि चित्रकूट में राधा-कृष्ण का मंदिर बने. उन्होंने बताया, ‘नवंबर 2016 में मेरी पत्नी की मौत हो गई. इसके बाद मैंने कसम खाई कि मैं यह मंदिर बनवाऊंगा. इस मंदिर को पूरी तरह से बनने में 6 साल, 7 दिन का समय लगा. मंदिर को बनने में 1.50 करोड़ रुपये का खर्च आया है. राधा-कृष्ण प्रेम के सिम्बल हैं, जिन्हें सदियों तक लोग याद रखेंगे. राधा-कृष्ण के अलावा राधाजी की सखियां ललिता और विसाखा को भी यहां मंदिर में जगह दी गई है.’ चन्सौरिया ने बताया कि इस मंदिर को आगामी 29 मई को जनता को समर्पित कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा, इसी के साथ मैं आज के युवाओं को संदेश देना चाहता हूं कि शादी के बाद प्रेम ही सब कुछ है. इसलिए मेरी सभी से गुजारिश है कि छोटे-छोटे मुद्दों को लेकर प्यार और पत्नी से दूर नहीं होना चाहिए. इस मंदिर में स्थानीय पुजारी पंडित रमेश चंद्र दीक्षित पूजा करते हैं. उनका कहना है कि यह मंदिर इस बात का उदाहरण है कि एक पार्टनर की मौत के बाद भी प्रेम बना रहता है. मंदिर की सुंदरता के काम में लगे एक कलाकार मोहम्मद आसिफ का कहना है कि यह आज की पीढ़ी के लिए ताजमहल जैसा उदाहरण है.

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