राजनीति

न काम आया बुर्क़ा, न ‘बजरंग बली’…, आखिर क्यूं कर्नाटक में हार गई बीजेपी?

कर्नाटक में साल 1985 के बाद से जो सिलसिला जारी रहा है, वो एक बार फिर से बरकरार रहने वाला है. दरअसल, 1985 से आज तक कर्नाटक में कोई भी सत्तारूढ़ दल दोबारा से सत्ता पर काबिज नहीं हो पाया है. रुझानों ने इस बात पर मुहर लगा दी है कि कांग्रेस की पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनने वाली है. बीजेपी को उम्मीद थी कि 38 सालों का जो इतिहास रहा है, उसे इस साल बदल दिया जाएगा. मगर कर्नाटक के नतीजों ने उसकी उम्मीदों को धराशायी कर दिया है.

कर्नाटक विधानसभा में 224 विधानसभा सीटें हैं और किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत से सरकार बनाने के लिए 113 सीटों का जादुई आंकड़ा पार करना होगा. पिछले विधानसभा चुनाव यानी साल 2018 के नतीजे आए थे तो विधानसभा की तस्वीर बिल्कुल अलग ही थी. उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने 104 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी. वहीं कांग्रेस को 80 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस बार बीजेपी कहां चूक गई और कर्नाटक में इस पार्टी के हार की बड़ी वजह क्या है? कर्नाटक में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस पार्टी ने भ्रष्टाचार का मुद्दा जमकर उछाला. कांग्रेस ने प्रचार के दौरान राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार को लेकर कई आरोप लगाए. यहां तक की पार्टी ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए ’40 परसेंट की सरकार’ का अभियान तक चलाया. वहीं दूसरी तरफ भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बीजेपी बैकफुट पर रही. ‘प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने कहा कि राज्य में घोटाले हर जगह हैं. उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक में बीजेपी के विधायक का बेटा 8 करोड़ के साथ पकड़ा जाता है तो वहीं बीजेपी विधायक का कहना है कि 2500 करोड़ रुपये में मुख्यमंत्री की कुर्सी खरीदी जा सकती है. राहुल गांधी ने इसी मुद्दे को भुनाते हुए कहा था कि कर्नाटक में जो भ्रष्टाचार हुआ, वह 6 साल के बच्चे को पता है. यहां पिछले 3 साल से बीजेपी की सरकार है और पीएम मोदी को कर्नाटक में भ्रष्टाचार के बारे में भी पता होगा. इसके अलावा कांग्रेस ने कॉन्ट्रेक्टर घोटाला, 40 परसेंट कमीशन घोटाला, स्कूलों की ठेकेदारी के नाम पर घोटाले के मु्द्दों को भी जमकर भुनाया. राज्य में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रचार अभियान की अगुवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर रहे थे. उन्होंने प्रचार के दौरान भगवान बजरंग बली का अपमान को प्रमुख मुद्दा बनाया. प्रधानमंत्री मोदी की औसतन हर दिन तीन से चार चुनावी सभाएं होती थीं और इस दौरान पार्टी का मुख्य मुद्दा बजरंग बली के इर्द-गिर्द बना रहा. हालांकि परिणाम के रुझान को देखते हुए ये साफ लग रहा है कि बीजेपी का बजरंग बली वाला मुद्दा कर्नाटक की जनता पर कुछ खास असर नहीं कर पाया है. इसका एक कारण ये भी है कि कर्नाटक ने हमेशा ही हिंदुत्व के मुद्दे को नकारा है और भ्रष्टाचार, रोजगार और गरीबी जैसे मुद्दे पर बात करने वाली पार्टी को सत्ता में आने का मौका देती रही है. इसके अलावा राज्य में 18 फीसदी आबादी लिंगायत समुदाय की हैं और ये समुदाय मंदिर नहीं जाते, पूजा नहीं करते हैं. उनका मानना है कि शरीर ही मंदिर है. कर्नाटक में चुनाव से एक साल पहले ही बीजेपी सरकार ने शैक्षणिक परिसरों में हिजाब पहनकर आने पर बैन लगा दिया था. सरकार के इस कदम पर राज्य में व्यापक स्तर पर प्रदर्शन किए गए. वहीं जब चुनाव नजदीक आए तो बीजेपी ने हिजाब और हलाल के मुद्दे से पूरी तरह किनारा कर दिया. प्रचार के दौरान पार्टी ने कहीं भी हिजाब या हलाल का जिक्र नहीं किया. क्योंकि बीजेपी पहले ही मान चुकी थी हिजाब जैसे मुद्दों से पार्टी को नुकसान ही होगा.


Related Articles

3 Comments

  1. Wow, fantastic weblog layout! How long have you been blogging for?
    you made blogging glance easy. The overall look of your website is magnificent,
    let alone the content material! You can see similar here ecommerce

  2. Does your website have a contact page? I’m having problems locating it but, I’d
    like to shoot you an e-mail. I’ve got some suggestions for your blog you might
    be interested in hearing. Either way, great site and I look forward to seeing it
    expand over time. I saw similar here: Sklep online

  3. Oh my goodness! Impressive article dude! Thanks, However I am experiencing problems with your RSS.
    I don’t understand why I cannot subscribe to it.

    Is there anyone else getting the same RSS issues?
    Anyone who knows the answer will you kindly respond? Thanks!!
    I saw similar here: Dobry sklep

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button