सुप्रीम कोर्ट -ने चुनावी फॉर्म में शैक्षिक योग्यता में गडबड़ी को लेकर कहा
चुनाव उम्मीदवार का शैक्षिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी देना धारा 123 के तहत भ्रष्ट अभ्यास नहीं माना जाएगा. चुनावी फॉर्म भरने के दौरान अब शैक्षिक योग्यता को लेकर दी गई गलत जानकारी अब अपराध के दायरे में नहीं आएगी. सोमवार 20 फरवरी को एक मामले की सुनवाई करते हुए sc ने कहा कि भारत में कोई भी कोई भी शिक्षा योग्यता के आधार पर वोट नहीं देता है और इसलिए चुनाव उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी प्रदान करना धारा 123 के अर्थ में ‘भ्रष्ट अभ्यास’ नहीं माना जा सकता है. न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर किए गए बीजेपी विधायक हर्ष वर्धन वाजपेयी से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की. मामले की सुनवाई के दौरान मजाकिया लहजे में न्यायमूर्ति नागरत्ना ने कहा कि भारत में कोई भी शैक्षिक योग्यता के आधार पर वोट नहीं करता है, हो सकता है कि ऐसा केरला में करते हों. बीजेपी विधायक हर्षवर्धन वाजपेयी ने 2007 और 2012 में जब चुनाव लड़ा था तो उन्होंने नॉमिनेशन फॉर्म में अपनी डिग्री इंग्लैंड से बी.टेक और दिल्ली विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ फाइनेंस एंड कंट्रोल दिखाई थी. हालांकि 2017 के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करते समय उन्होंने अपनी योग्यता इंग्लैंड के शेफर्ड यूनिवर्सिटी से बीटेक दिखाई है. लेकिन दूसरे पक्ष का दावा है कि उन्होंने झूठ बोला है क्योंकि शेफील्ड विश्वविद्यालय में बी.ई. केमिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई होती है बीटेक की नहीं और उस विश्वविद्यालय की एल्युमनी लिस्ट में भी उनका नाम नहीं पाया गया, इसी वजह से उन्होंने ऐसी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह हो सकता है कि ऐसा कुछ हुआ हो लेकिन कथित विश्वविद्यालय ने ऐसी कोई बात लिखित में नहीं दी है.