रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई (RBI) बैंकों को कर्ज देता है, जबकि रिवर्स रेपो रेट उस दर को कहते हैं जिस दर पर बैंकों को आरबीआई पैसा रखने पर ब्याज देती है लेकिन आम आदमी पर महंगाई का बोझ बढ़ता ही जा रहा है. बुधवार को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट या 0.25 फीसदी की बढ़ोतरी इन्हें एक और झटका दिया है. बीते साल मई 2022 से अब तक लगातार छह बार रेपो रेट में इजाफा किया जा चुका है और इस अवधि में ये कुल 2.50 की बढ़ चुका है. फिलहाल, रेपो रेट 6.50 फीसदी पर पहुंच गया है. इसके बढ़ने के साथ ही सभी तरह के होम, ऑटो, पर्सनल सभी तरह के लोन महंगे (Loan) हुए हैं और लोगों को ज्यादा ईएमआई (EMI) भरनी पड़ रही हैं. आइए जानते हैं 6 बढ़ोतरी के बाद EMI का कैलकुलेशन…
छह फरवरी को शुरू हुई आरबीआई एमपीसी की बैठक (RBI MPC Meet) के नतीजों का ऐलान बुधवार 8 फरवरी को केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti Kant Das) ने किया. उन्होंने बताया कि बैठक में मौजूद 6 सदस्यों में से चार ने रेपो रेट में इजाफे का समर्थन किया है. यहां बता दें कोरोना काल में रेपो रेट 4 फीसदी पर स्थिर था, लेकिन इसके बाद बाद देश में उच्च स्तर पर पहुंची महंगाई को काबू में करने के लिए मई 2022 से अब तक RBI ने एक के बाद एक लगातार छठी बार रेपो रेट बढ़ाने का ऐलान किया है. वहीं इस साल 2023 की पहली एमपीसी बैठक के बाद एक बार फिर से रेपो रेट को .25% बढ़ाने का फैसला किया गया है. 30 लाख के लोन पर इतना बढ़ा बोझ अब बात करते हैं लोन लेने वाले व्यक्ति पर रेपो रेट में हुए इजाफे के बाद बढ़े बोझ के बारे में. तो इसे उदाहरण के जरिए समझने के लिए मानकर चलते हैं कि उस व्यक्ति ने मई 2022 में रेपो रेट में पहली बढ़ोतरी किए जाने से पहले 30 लाख रुपये का लोन 6.7 फीसदी की ब्याज दर पर 20 साल के टैन्योर के लिए लिया था. इस रेट पर उसे प्रतिमाह 22,722 रुपये की ईएमआई (EMI) देनी होती थी. वहीं RBI की ओर से लगातार छह बार में 2.50 फीसदी रेपो रेट बढ़ाए जाने के बाद अगर उस लोन की दर बढ़कर 9.2 फीसदी हो गई है तो फिर इस हिसाब से ईएमआई 27,379 रुपये प्रति माह हो जाएगी. यानी इस पीरियड में हर महीने उसे 4,657 रुपये प्रति माह ज्यादा खर्च करने पड़ेंगे
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