बिहार आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार की सफाई- कोई विशेष छूट नहीं दी
जब से बिहार सरकार ने जेल से रिहाई के नियम में बदलाव किया है, तब से सियासी पारा चढ़ा हुआ है। बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन सहरसा जेल से रिहा हो गए। गोपालगंज के तत्कालीन डीएम “5 दिसंबर 1994” जी. कृष्णैया की हत्या मामले में उम्रकैद हुई थी। सियासी तौर पर देखें तो बिहार के एक राजपूत नेता की रिहाई हुई। जबकि IAS कृष्णैया की पत्नी उमा देवी ने कहा कि उनके पति के हत्यारे को कानून बदलकर छोड़ दिया गया। आनंद मोहन के जेल से छूटने का मामला पटना हाईकोर्ट तक पहुंच गया है। इसे लेकर PIL “जनहित याचिका” दायर की गई है। वहीं, पूरे मामले पर मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने पत्रकारों के सामने सफाई दी। आनंद मोहन की रिहाई पर बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने सरकार की तरफ से सफाई दी। उन्होंने कहा कि पूर्व सांसद सजायाफ्ता आनंद मोहन को किसी प्रकार की कोई रियायत नहीं दी गई है। आनंद मोहन अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। जिसके बाद उन्हें जेल से रिहा किया गया। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने आजीवन कारावास पाए हुए बंदियों को परिहार देने के नियम के संबंध में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। एक-एक कर सभी सवालों का जवाब दिया और सरकार के फैसले को सही ठहराया। चीफ सेक्रेट्री आमिर सुबहानी ने 2012 के नए जेल मैनुअल के नियम के का हवाला देते हुए आनंद मोहन की रिहाई पर सरकार का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि जो लोग आजीवन कारावास पाकर जेल में दाखिल हुए, उनको कैसे और कब रिहा किया जाएगा? इसके लिए नियम का पालन किया जाता है। उसी के तहत छोड़ने का फैसला लिया जाता है। उन्हें (आनंद मोहन को) रिहा करने का फैसला पूरे रिकॉर्ड और रिपोर्ट को देखने के बाद कानूनी और प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत लिया गया है। मुझे लगता है कि इसे राजनीतिक रंग नहीं दिया जाना चाहिए।
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