अर्जेंटीना का बड़ा एलान, चीनी आयात अब डॉलर में नहीं युआन में होगा
अमेरिका के सुपरपावर होने का टैग खतरे में है. अपने डॉलर के दम पर 70 साल से दुनिया की बादशाहत संभाल रहे अमेरिका के बड़े बड़े बैंक डूब रहे हैं. वहीं अंतरराष्ट्रीय भुगतान में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के वर्चस्व को चुनौती देने की कोशिशें लगातार जोर पकड़ रही हैं. इन हालातों का फायदा उठाते हुए चीन अपनी करेंसी युआन के जरिए नया ग्लोबल ट्रेड लीडर बनने की आशंका में तेजी से आगे निकल रहा है.दशकों से दुनियाभर में बड़े कारोबारी सौदे डॉलर में होते आए हैं. फिल्मों की बंपर ओवरसीज कमाई से लेकर दो देशों के बीच होने वाले रक्षा सौदों का पेमेंट भी लाखों-करोड़ों डॉलर में किया जाता है. एक आंकड़े के मुताबिक दुनियाभर के करीब 33% लोन अमेरिकी डॉलर में दिए जाते हैं. लेकिन क्या आगे भी ऐसा ही चलता रहेगा? इसकी कोई गारंटी नहीं है, क्योंकि हो सकता है एक दिन ऐसी सारी डीलें चीनी युआन या भारतीय रुपए में होने लगें? क्योंकि दुनियाभर में इस बड़े फेर-बदल की अटकलें लगाई जा रही हैं. ऐसी खबरों को अटकलें न कहा जाए तो ज्यादा सही रहेगा, क्योंकि कई देश अब अमेरिकी डॉलर पर निर्भर रहने के बजाए दूसरे देशों की करेंसी को तरजीह दे रहे हैं. इसे ही डी-डॉलराइजेशन कहा जा रहा है. अर्जेंटीना ने अपनी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए डॉलर के बजाय युआन में चीनी आयात के लिए भुगतान करने का ऐलान किया है. इसी महीने अप्रैल में, अर्जेंटीना ने डॉलर के बजाय युआन में करीब 1 अरब डॉलर के चीनी आयात का भुगतान करने का लक्ष्य रखा है. एक सरकारी बयान के मुताबिक आगे 79 करोड़ डॉलर के मासिक आयात का भुगतान भी युआन में किया जाएगा. अर्जेंटीना के मंत्री सर्जियो मस्सा ने चीनी राजदूत, जू शियाओली के साथ विभिन्न क्षेत्रों की कंपनियों की बैठक के बाद ये ऐलान किया है. यह फैसला ऐसे समय हुआ है जब ऐतिहासिक सूखे के कारण कृषि निर्यात में भारी गिरावट होने के साथ ये देश विदेशी मुद्रा की किल्लत से जूझ रहा है. इसे अमेरिका के लिए झटका माना जा रहा है कि क्योंकि ये दक्षिण अमेरिकी देश इससे पहले अमेरिका पर पूरी तरह से निर्भर था.
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